Saturday, August 29, 2020

महराजगंज जिले से जुड़ी जानकारी

 महराजगंज जनपद के अड्डा बाजार के समीप स्थित बनसिहा- कला में 88.8 एकड़ भूमि पर एक नगर, किले एवं स्तूप के अवषेष उपलब्ध हुए हैं।

 लगभग 35 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले, इस जगह पर कई टीलें, स्तूप और तालाब आदि स्थित है। इसके अतिरिक्त यहाँ एक प्राचीन शिवलिंग और एक चतुरभुर्जी मूर्ति भी स्थित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है। कुछ लोग इसे वीरगाथा काव्य के नायक आल्हा-उदल के परमहितैषी, सैयदबरनस के किले के रूप में भी मानते हैं। कई पुरातत्वविद् इसे देवदह भी मानते हैं।

 बौद्धगंथों में भगवान गौतम बुद्ध की माता महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी एवं पत्नी भद्रा कात्यायनी (यषोधरा) को देवदह नगर से ही सम्बन्धित बताया गया है। 1992 में डॉ॰ लाल चन्द्र सिंह के नेतृत्व में किये गये प्रारम्भिक उत्खनन से यहां टीले के निचते स्तर से उत्तरी कृष्णवणीय मृदमाण्ड (एन.बी.पी.) पात्र- परम्परा के अवषेष उपलब्ध हुए हैं गोरखपुर विष्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ॰ सी.डी.चटर्जी ने देवदह की पहचान बरसिहा कला से ही करने का आग्रह किया।










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